Tuesday, March 16, 2010

संघर्ष

सूर्य चमकने के लिये संघर्ष करता है । हजारोँ अवस्थाओँ से गुजरकर कोई तारा सूर्य बनता है । हर कोई अपने साथ कुछ लेकर नहीँ आता । न ही कुछ लेकर जाता है । बस अस्तित्व का खेल है । हर कोई चाहता है कि उसका भी कोई नाम हो । लेकिन यह सब ऐसे ही नहीँ होता । संघर्ष के साथ धैर्य भी जरूरी होता है । कोई भी घटना समय से पहले नहीँ घटती । जो हमेँ आकस्मिक लगता है वह भी निश्चित होता है । प्रकृति किसी के भी साथ गलत नहीँ करती । चक्र की तरह परिस्थितियाँ होती हैँ । हर कोई सुख और दुख की अनुभूति से गुजरता है । हर कोई नीचे से ऊपर आने के लिए संघर्ष करता है । कभी वह सफल हो जाता है तो कभी असफल भी हो जाता है ।


सफलता धैर्यपूर्वक लक्ष्योँ की प्राप्ति है । किस्मत के खेल मेँ कोई जीतता है तो कोई हार जाता है । हारने वाला फिर से कोशिश करता है । कमियोँ को ढूँढ़ता है । कई बार परिश्रम करता रहता है । जिद की भी हद होती है । हद पार हो जाये तो मजा खत्म होने लगता है । आत्मविश्वास टूटने लगता है । खुद पर विश्वास तो सभी करते हैँ लेकिन सफल लोग प्रयासोँ पर विश्वास करते हैँ । मकड़ी जाल पर बहुत प्रयास मेँ चढ़ पाती है तो फिर हम तो मनुष्य हैँ । शरीर और मस्तिष्क की बेहतरीन तंत्रिकाओँ से बनी हमारी विचित्र काया हमेँ महानता की श्रेणी मेँ खड़ा करती है । असफलता को हार न समझना इसी महानता की विशेषता है । वे लोग जो कई बार जीतते हैँ उनकी मानसिकता इसी तरह की होती है ।


कल्पना की दुनिया मेँ रहकर जीवन पर विजय हासिल नहीँ की जा सकती । पतंग को लड़ाने के लिये शातिर हाथ चाहिए जो उसे जहाँ चाहेँ मोड़ सकेँ । हर कोई दलदल के बीच से कमल नहीँ तोड़ पाता । मनुष्य को संघर्ष करना पड़ता है । संघर्ष और घर्षण मेँ फर्क है । घर्षण मेँ वस्तु घिस जाती है लेकिन घर्षण के बिना वस्तु गति नहीँ कर सकती । संघर्ष समस्याओँ पर विजय पाने का नाम है । संघर्ष जितना शारिरिक नहीँ होता उतना मानसिक होता है । हर कोई सपने देखता है । उन सपनोँ को पूरा करना चाहता है । लेकिन सब साथ छोड़ देते हैँ । जीवन अकेला हो जाता है । इच्छाएँ दोनोँ और दौड़ती हैँ तो तनाव होता है । डर लगता है कहीँ दिल टूट न जाये ।


जीत एक चाहत होती है । हारकर भी इंसान खुश रह सकता है । लेकिन वह खुद को अकेला नहीँ देखना चाहता । सफल लोगोँ के साथ दुनिया होती है । हार के साथ निराशा बढ़ जाती है । जीवन संघर्षमयी हो जाता है । लेकिन प्रयास करते रहना चाहिए । धूप मेँ चलने से प्यास लगती है तब दो पल के लिए पानी अमृत हो जाता है । अगर आप अमृत पीना चाहते हैँ तो संघर्ष कीजिये । धैर्य रखिये कभी आप भी तो अपने सपनोँ के मालिक बनेँगे । परिश्रम को हाथोँ की शक्ति के रूप मेँ महसूस कीजिये ।

4 comments:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  2. Sahi kaha...safal jeevan kee neev sangharsh hai..

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  3. सुन्दर विचार है आपके । स्वागत है आपका

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  4. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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