Tuesday, September 28, 2010

Born again ....

Life is a changing experience.
It will create an opportunity
to enjoy everything.
Every moment has inspired me
to born again.
Every morning says me
to wake up again.
This time I am busy in leisure.
Love is the way of success.
The work I have done
not waiting for results.
Its continue to going on
the path of truth.
Shadow of hope always with me,
says me to touch the life.
To be helpful ,
To be natural ,
I have worked on thinking.
Thinking is powerful
when I am lonely.
Life is most beautiful
in loneliness.
Live in world with happiness.

Saturday, September 25, 2010

A sweet hug...

A sweet hug
is more better than sleep in
the shadow of tree.

It will be so hearty.
In the life
nothing is so precious.
Because the ways of life
goes to God.
God has gifted me her love.
Love is not destiny.
But a sweet hug in solitude
joints me to infinity.
I feel solace
in a sweet hug.

Love is a long journey.

Love is a long journey.
There is happiness and solace.
A sweet hug gives you
the touch of world.
A light kiss meets you
to immensity.
You can fly with her
in sky of life.
Life is not have itself meaning
without love.
Life will be stopped
but love haven't ends.
Its goes to infinity.

ध्यान एक होने की अवस्था है ।

आत्मा मुक्त है !
शरीर भौतिक है !
इसे तो नष्ट हो जाना है ;
लेकिन जो महसूस करते हैँ
कि आत्मा कर्म करती है ;
वे व्यर्थ का प्रयत्न करते हैँ !
वहीँ जीवन का सुकून खो जाता है !
वहीँ हम अशांत होते जाते हैँ !
फिर अकेलेपन को ढूँढ़ते हैँ !


जीवन का अर्थ संसार के शोर मेँ है !
तेज भागती कार मेँ जिँदगी है !
सिगरेट का कश ध्यान का अनुभव है !
जब हम हर प्रक्रिया से नहीँ गुजरेँगे
तो सीखना नहीँ होगा !
त्याग का अर्थ पाने के बाद है !
पाने मेँ मेहनत होती है !
मेहनत मेँ समय लगता है !
इतने ही समय मेँ हम एक हो सकते हैँ !
एक होने का अनुभव ही श्रेष्ठ है
मैँ और तुम नहीँ हैँ ,
और कोई भी नहीँ है !
हर कहीँ वही है ,
जो जीवन देता है ;
जो मुक्ति की दिशा देता है !
हम उससे दूर नहीँ जा सकते !
यही शाश्वत है !
यहीँ जाकर बुराई की कल्पना
मिट जाती है !
यहीँ जाकर अस्तित्व की सुबह
हो जाती है !

Friday, September 24, 2010

My space

Life is a sea.
You can't stay here without swimming.
Swimming is the balance.
The theory says
"the space should be finded
with replacing of others."
But the most beautiful ways
are searches by thinking.
The power of thinking
gives you energy.
You can get everything
that you wishes.
Its a secret for those
who believe in hardwork.

Wednesday, August 11, 2010

डर

कोई नहीँ है ;
चारोँ ओर
खुला आसमान है !
फिर भी हम
पंखोँ को खोलकर
उड़ने से डरते हैँ !

हाँ , हम डरते हैँ !
डरते हैँ ;
अनन्त मेँ
गुम न जाएँ
कहीँ !

हम
सत्य से
दूर भागते हैँ
क्योँकि हम
संसार को
सत्य मान वैठे हैँ !

Monday, April 26, 2010

जिँदगी

हवा का झोँका आया और मुझे होश आ गया । अब सोच रहा हूँ कि अब तक कहाँ था । जिँदगी को यादोँ मेँ मैँने कहीँ खो दिया था । समय यादोँ को अपनी निगाहोँ मेँ कैद कर लेता है । पर हमेँ उनसे बाहर भी तो निकलना है । यादेँ कुछ दे जाती हैँ । वे खुशियाँ दे जाती हैँ ; गम दे जाती हैँ । इनसे बेहतर वे अनुभव का ज्ञान दे जाती हैँ । वे हमेँ सिखा जाती हैँ कि सही मार्ग कहाँ है । हम जिस रास्ते पर चलना चाहते हैँ , वह यहाँ नहीँ है । वह कहीँ और है ; जहाँ खुशियोँ की बहार आती है ।


यादेँ हमेँ सिखाती हैँ कि अब हम बदल गये हैँ । बचपन मेँ जब हम मासूम थे तो हमारे सोचने का तरीका हमारा खुद का था । तब हम नए नए प्रश्न करते रहते थे । लेकिन अब हमारी सोच पर बहुत सारा बोझ लाद दिया गया है । जिसे लेकर हम चल रहे हैँ । जब हमारी सोच स्वतंत्र नहीँ है तो फिर हम खुद को बेहतर कैसे बना सकते हैँ । हमेँ अपने दिमाग के कारखाने से कचरे को हटाना होगा । न जाने कितने विचार जो हमेँ सही लगते हैँ , गलत हैँ ।
इन गलत विचारोँ पर सोचने का समय तब शायद हमेँ मिल पाये ।


लेकिन हमेँ आज मेँ जीना होगा । बीते कल की बात करके तो सिर्फ समय गुजारा जा सकता है । कुछ हासिल करना है तो हमेँ वर्तमान मेँ जीना होगा । आज के परिप्रेक्ष्य मेँ योजनाएँ बनानी होँगी । आज की स्थितियोँ मेँ प्रयास करने होगेँ । जिँदगी को समझने के तरीके अब बदल चुके हैँ । वक्त ने खुद को बदल लिया है । संस्कृति , परिवेश और विचार भी बदल गये हैँ ; तो हमेँ भी नए तरीकोँ को समझना होगा । पुराने तरीकोँ से सफलता नहीँ मिल सकती क्योँकि पुरानी सोच मेँ माहौल की जंग लग जाती है । उसे हटाने मेँ हमेँ बर्षोँ लग सकते हैँ । इससे बेहतर है नयी कोशिशेँ कीजिए । आसमान को छूने की ये कोशिशेँ तुम्हे आसमान की ओर ले जायेँगी , जहाँ जिँदगी है ।


जिँदगी को पाने की कोशिश क्या कभी आपने की है ? यदि नहीँ तो आप नहीँ जानते कि जिँदगी क्या है । आप बस इतना जानते हैँ कि ऊँचाईयोँ पर खुशियाँ मिलती हैँ । लेकिन आप गलतफहमी मेँ हैँ । प्यार छोटी बस्ती की गलियोँ मेँ पाया जाता है और वे इसे हासिल करने की कोशिश नहीँ करते जो इसे पहचानते हैँ । ये लोग सहयोग , समर्पण , प्रतीक्षा आस्था , संतुष्टि और संस्कारोँ को साथ लेकर चलते हैँ तो इन्हे जिँदगी मिल जाती है ; कुँए से पानी खीँचती किसी लड़की की मुस्कुराहट मेँ ; यहाँ से वहाँ उछलकूद करती गिलहरी मेँ । जिँदगी को पाना जरूरी है । खुशियाँ जिँदगी के साथ मुफ्त मेँ मिलती हैँ और सफलता के साथ चलती हैँ । लेकिन ऊँचाइयोँ पर पहुँचकर आप खुश रहेँगे इस बात की कोई गारंटी नहीँ है । क्योँकि तब लोगोँ की ईर्ष्या , समय की कमी और आधुनिकता के प्रचार का आपको सामना करना पड़ेगा । खुशियाँ मार्केट मेँ नहीँ मिलतीँ । ये कुदरती उपहार होती हैँ ; जिन्हे हम जब चाहे तब पा सकते हैँ । लेकिन जिँदगी के करीब रहकर ही हम ऐसा कर सकते हैँ ।


पत्तोँ को हिलते हुए देखा है कभी । तो उनके धीरे धीरे हिलने मेँ शांति को महसूस कीजिए । नदी किनारे बैठिए और लहरोँ मेँ मन की गति को महसूस कीजिए । आसमान की ओर देखिये और जीवन के रहस्य को महसूस कीजिए । महसूस करने से ही हम सीख पाते हैँ । जिँदगी को पाने के प्रयास मेँ महसूस करने की प्रक्रिया का लाभ उठाईये । कुछ ही समय बाद महसूस होगा कि सोच गंभीर हो गई है । समझ मेँ आता है कि अगर हम इस संसार मेँ उलझ गये तो जीवन का उद्देश्य खत्म हो जाएगा । बस हम यहाँ कुछ सीखने आये हैँ और सीखकर ही हमेँ यहाँ से जाना है ।


हाँ समय का ध्यान रखिए । जिँदगी को किताबोँ मेँ मत ढूंढ़िए । सिद्धांतोँ की लाइब्रेरी मेँ भी मत पढ़िये । क्योँकि समय बहुत कम है । अगरबत्ती के धुँए से वायुमंडल पवित्र नहीँ हो सकता । न ही टेलिविजन पर विज्ञापन देने से धूम्रपान बन्द हो सकता है । खुद को अच्छी राह पर ले जाने की कोशिश कीजिए । लेकिन ध्यान रखिए सूर्य की किरणोँ से आप सीधे ऊर्जा नहीँ ले सकते । हर प्रक्रिया का एक क्रम है और संसार मेँ क्रम महत्वपूर्ण है । आप इस क्रम मेँ कहाँ है कोई नहीँ जानता । शायद आप जानते होँ ? पर हमेशा प्रगति के लिए मेहनत कीजिए । जल्द ही आपको वह दिखाई देगा जिसे खोजने का आप प्रयास कर रहे हैँ ।


लक्ष्य अनन्त है लेकिन संसार मेँ उस लक्ष्य को पाने के लिए कर्म करना पड़ता है । किस्मत अपने खेल खेलती है । सब हमारा ही किया हुआ है । बस हमेँ किस्मत के खेल मेँ एक खिलाड़ी बनना है । जीत और हार की उम्मीद छोड़ खेलना है । तभी हम जीत पाएँगे । हम कामयाब हो जाएँगे यदि हम भागना छोड़ देँ । यादोँ मेँ खोकर कुछ पाएँ और सो जाएँ । सुबह उठकर कहीँ जाना है . . . .

Sunday, April 18, 2010

एकांत

एकांत का अर्थ है -अकेलापन । जहाँ तुम अकेले हो वहाँ कोई और नहीँ हो सकता । लेकिन फिर कोई तो साथ होगा । जिँदगी का आनंद साथ होने मेँ है । प्रकृति के अंतरंग मेँ छिपकर नृत्य करने मेँ मन का आवरण दिखाई नहीँ देता । सभी एक होने का प्रयास करते हैँ । ब्रह्मांड के कण कण मेँ जो है , उससे मिलने का इंतजार करते हैँ । इस ब्रह्मांड मेँ जो रिक्त है , वह भी संपूर्ण है । फिर उस अनंत को एकांत मेँ महसूस करने का कोई कारण भी होना चाहिये । वह भी एकांत मेँ ही स्पष्ट होता है ।



ट्रेफिक मेँ निकलने मेँ समय लगता है । फिर हम ट्रेफिक मेँ रुककर सोच भी नहीँ सकते । अकेलेपन का आनंद अलग होता है । थ्री डायमेन्सनल स्पेस मेँ मूलबिन्दु को छोड़कर हर बिन्दु के निर्देशांक होते हैँ । हर किसी की अलग स्थिति होती है । लेकिन जो मूलबिन्दु से बहुत दूर अकेला होता है , वह सुकून मेँ होता है । भीड़ से बहुत दूर नहीँ पहुँचा जा सकता । हर कोई हम पर नजर रखता है । उस नजर से दूर एकांत मेँ सफलता की कल्पना विकसित होती है । वह राह मिलती है , जिस पर चलकर हमेँ बहुत दूर जाना है । उसे खोजना है , जो हमारे ही अंदर है । उस विश्वास को छूना है , जो हमेँ संतुष्टि देता है ।

Thursday, April 8, 2010

प्रकृति

चलते चलते बहुत दूर आ गया हूँ । जिँदगी की राहोँ मेँ सुकून है । लेकिन हर कोई उसे खोज रहा है जो अदृश्य है । वह परमाणु के नाभिक मेँ है । वह सूर्य की ऊर्जा मेँ है । वह विश्वास की परिधि मेँ है । हर कोई उसे पाना चाहता है ; अनन्त को छूना चाहता है । समय के साथ मन भी मॉडर्न हो गया है । आस्था कहीँ नहीँ है । जो है उसे छोड़कर हर कोई उसे खोज रहा है ; जो नहीँ है । मनुष्य का शरीर उस अनुभव का ही प्रतिबिँब है जो सीमा से परे है ।

Saturday, April 3, 2010

Life

Life is a changing experience...

Knowledge

Knowledge gives us Ideas.
Ideas inspires us to get more knowledge...

Friday, April 2, 2010

इंद्रधनुष

" विजेता कुछ अलग नहीँ करते , बल्कि किसी काम को अलग ढंग से करते हैँ । " शिव खेड़ा का यह कथन हमारे लिए है । हम क्या करना चाहते हैँ , यह तो हम निश्चित कर लेते हैँ । लेकिन हम यह निश्चित नहीँ कर पाते कि इस काम को किस तरह करना है । प्रकृति कितनी खूबसूरत है । हम अपने हर काम मेँ खूबसूरती डालना चाहते हैँ । सौँदर्य आभा विखेरता है । मन की चेतना सौँदर्य को महसूस करती है । एक बड़ा बदलाव जीवन मेँ यूँ ही नहीँ आता । हम बदलाव लाना चाहते हैँ । जीतना चाहते हैँ । सात रंगोँ से प्रकाश बनता है । प्रकाश के रंग इंद्रधनुष मेँ दिखाई देते हैँ । हर रंग की तरंगदैर्ध्य अलग होती है । ऐसा ही है जीवन । यह अपना सौँदर्य खुद विखेरता है । बस हमेँ इंतजार करना पड़ता है । शाम का इंतजार करते हुए दिन गुजर जाता है । फिर यह दिन कभी नहीँ आता ।



जो है आज और अभी है । पेड़ के नीचे की शान्ति मेँ जो मजा है , वह शॉपिँग मॉल मेँ नहीँ मिलता । बच्चे के चेहरे की हँसी से पता चलता है कि यह शुरूआत है । लेकिन जिँदगी आपको कोई वारंटी नहीँ देती । इसलिए कुछ अलग तरीके से लाइफ को एन्जॉय किया जाये । नियम तोड़ने के लिए बने हैँ । हर कोई पुराना विचार या तरीका अब काम नहीँ आता । नयेपन का जमाना है । अगर लोग इसी बात को मानते रहते कि सूर्य पृथ्वी के चक्कर लगाता है तो फिर हम अंतरिक्ष मेँ इतनी ऊँचाई तक कैसे पहुँच पाते ? हर किसी आविष्कारक ने पुराने विचारोँ और धारणाओँ का विश्लेषण किया है । उनमेँ संसोधन किया है । आविष्कार का अर्थ होता है खोजना । लेकिन कुछ नयी खोज हमेँ कुछ करने के लिए प्रेरित करती है । रात मेँ चमकते ध्रुव तारे को देखकर दिशा तय करने वाले नाविकोँ ने नये स्थानोँ की खोज की । विस्तृत समाज की दृष्टि व्यापक हुई तो कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ । यही तो विजेता की पहचान है । हम जिस लक्ष्य को पाना चाहते हैँ उसे पा लेने पर विजेता बन जाते हैँ । न कि केवल उस रेस को जीतकर जिसे हर कोई जीतना चाहता है । हमेँ अपने लक्ष्य खुद निर्धारित करने होँगे । यही तो रफ्तार है , जिस पर हम चलना चाहते हैँ ।



बारिश की बूँदेँ एक नयापन लेकर आती हैँ । वृक्षोँ पर हरे पत्ते आने लगते हैँ । मौसम सुहावना हो जाता है । यही प्रकृति का सृजन है । हमारा सृजन हमारी अवस्थाओँ के साथ विकसित होता है । नई चुनौतियोँ और नये अवसरोँ के साथ हम और अधिक सृजनात्मक हो जाते हैँ । कई परिस्थितियोँ पर हमेँ टेन्शन होता है । लेकिन यही तो बात है जो विजेताओँ मेँ होती है कि वे टेन्शन मेँ अपना समय बर्बाद नहीँ करते । हर पल वे खुद को तरोताजा बनाने का प्रयास करते हैँ और हर चीज को किसी नये ढंग से करने का प्रयास करते हैँ । वे नई तकनीकेँ ढूँढ़ते हैँ जिससे समस्याएँ हल की जा सकेँ । हर नई तकनीक से मस्तिष्क की क्षमताओँ का विकास होता है । यही विकास सफलता देता है । सफल लोगोँ के पास खुशियाँ होती हैँ । लेकिन वे खुशियोँ को सहेजने का प्रयास नहीँ करते । इसलिए उन्हे टेन्शन नहीँ होता और वे सफलता के करीब आ जाते हैँ ।...

ब्रह्मांड

मैँ कहाँ खड़ा हूँ । सोच रहा हूँ ; एक रास्ता भैतिकबाद की ओर जाता है तो दूसरा आध्यात्म की ओर । मैँ कहाँ जाना चाहता हूँ , यह भी मुझे नहीँ पता । कोई कहता है जीवन मेँ पैसा महत्वपूर्ण है तो कोई शोहरत या प्यार को महत्वपूर्ण बताता है । सबके तरीके भी अलग अलग हैँ । मुझे जब कोई भी तरीका समझ मेँ नहीँ आता तो सोचता हूँ जीवन एक रहस्य है । इस रहस्य को समझना चाहता हूँ लेकिन इसे समझ भी नहीँ पाता । बहुत सारे दार्शनिक हुए । जीवन के अंत तक वे इस रहस्य को कितना समझ पाए , कहना मुश्किल है । मृत्यु के रहस्य को अब तक कोई नहीँ समझ पाया । विज्ञान के प्रयोग जीवन के अस्तित्व तक हैँ । शरीर की संरचना भी जटिल है । शिशु की संरचना स्त्री के गर्भ मेँ होती है । शरीर की कोशिकाओँ मेँ बृद्धि होते होते शिशु बड़ा हो जाता है लेकिन उसे संचालित करने वाली जो चेतना शक्ति है , वह कहाँ होती है । सामान्य चेतना तो सभी मेँ होती है लेकिन कुछ लोगोँ के पास विशिष्ट चेतना शक्ति होती है । ये जीवन को गहरे अनुभव के साथ महसूस करते हैँ । मैँ तो उनमेँ से नहीँ हूँ । पर अनुभव का इंतजार तो मैँ भी करता हूँ ।



इस विश्व का इतिहास अमर है । यह अनेकोँ तथ्योँ और घटनाओँ को अतीत के गर्भ मेँ समाहित किये है । हर कोई अतीत बन सकता है । लेकिन मैँ नहीँ । मैँ तो भविष्य की कल्पना मेँ जीता हूँ । खुली हवा मेँ पंछियोँ की तरह सैर करता हूँ । हर आने वाले पल को रोमांचक बनाना चाहता हूँ । लेकिन मैँ भी मनुष्यत्व को पाना चाहता हूँ । हम जन्म से ही शुद्ध नहीँ होते । परिस्थितियाँ बदलती रहती हैँ । संस्कारोँ के निर्मल प्रवाह मेँ बहकर मन शान्त हो जाता है । धैर्य , संयम , साहस और विश्वास जैसे गुण आ जाते हैँ तो व्यक्ति का चरित्र भी पवित्र हो जाता है । विचारोँ की दिशा तय हो जाती है । जीवन किसी एक दिशा मेँ चला जाता है । एकाग्रता के साथ ऊर्जा भी बढ़ती है । एकाग्रता के साथ ऊर्जा भी बढ़ती है । सफलता का अर्थ मनुष्य की समझ मेँ आ जाता है ।



हम सपना देख रहे हैँ । एक ब्रह्मांड है ; सृष्टि है ; जीवन है । सब इस सपने का अंश हैँ । सपना कब टूटेगा , अनिश्चित है । हाँ हम जाग सकते हैँ । अपने अंदर झांकने की कोशिश कर कर सकते हैँ । ब्रह्मांड कितना बड़ा है ? कोई नहीँ जानता । सब केवल इतना जानते हैँ कि हम कितने छोटे हैँ । निरंतर चल रहा आस्तिकता और नास्तिकता के बीच का विवाद भी स्वयं मेँ एक प्रश्न है । जब कोशिश ही सफलता बन जाए तो मंजिल उससे भी बड़ी होती है । हमेँ खुद को जीतना है , न कि किसी मंजिल को । विचारोँ के युद्ध मेँ फाइट का साइड इफैक्ट हम पर भी होता है और आने वाला कल इसी पर निर्भर करता है । लेकिन फिर भी एक अनुभव हमेँ होता रहता है कि हम बंधे हुए हैँ । कुछ प्रश्नोँ के उत्तर हम कभी नहीँ खोज सकते । उनके उत्तर ढूंढ़ते रहने की कोशिश हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती है और हमारा जीवन किसी ओर बढ़ जाता है ; जहाँ प्रकाश होता है । शब्दोँ का प्रकाश ; दृष्टि का प्रकाश ; हमेँ हमेशा आनंद की अनुभूति कराता रहता है । तब लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति है जो हमेँ हमेशा अपने पास रखती है.....

आवरण

जिँदगी को ताश के पत्तोँ की तरह नहीँ समझ सकते । इसका महत्व हर लमहे को छूकर पता चलता है । किनारोँ से जब लहरेँ टकराती हैँ तो शोर होता है । लेकिन गहरे समुंदर मेँ कोई शोर नहीँ होता । वहाँ शांति होती है । बाहर के शोर और अंदर की शांति मेँ यही फर्क है । हम भीतर से कैसे हैँ कोई नहीँ जानता । हम भी नहीँ जानते । फूलोँ की खुशबू को हवा फैलाती है लेकिन यही खुशबू ऑक्सीजन मेँ नहीँ मिलती । एक दीवार है जो हमारी इंद्रियोँ को मन से अलग करती है । जिँदगी इसी दीबार के रहस्य पर चलती है । सारी जिँदगी यही रहस्य हमेँ पकड़े रखता है । कहीँ न कहीँ हम भी समझ जाते हैँ कि कोई रहस्य है लेकिन उस रहस्य को जानने का प्रयास हम नहीँ करते ।


मन पर जो सांसारिक आवरण होता है , वह समय के साथ बढ़ता जाता है । हम भूल जाते हैँ कि हम कौन हैँ । अपना अस्तित्व भूलकर संसार के मोह मेँ उलझ जाते हैँ । इसे ही सुख और दुख का कारण मान लेते हैँ । अनेकोँ जन्मोँ के हमारे कर्म रुक जाते हैँ । जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिये हमने जन्म लिया है वह याद नहीँ रहता । जीवन की दिशा तो उसी उद्देश्य पर निर्भर है । कर्मोँ की श्रंखला बहुत बड़ी है । हम सीमित समय मेँ कुछ ही काम कर सकते हैँ । जब तक हम कर्मोँ के ऋण से मुक्त नहीँ हैँ , हम ईश्वर की ओर नहीँ मुड़ सकते । वहाँ वही पहुँच सकता है जो कर्मोँ के ऋण से मुक्त है ।


मुक्ति का अर्थ है छूटना । जब हमेँ लगने लगता है कि संसार एक बंधन है , हमारी मुक्ति के प्रयासोँ की शुरूआत हो जाती है । हम उस तरफ धीरे धीरे झुकने लगते हैँ , जहाँ एक दिन सबको जाना है । बस जरूरत एकाग्रता की होती है । हमेँ सांसारिक जरूरतोँ को इंद्रियोँ के संयम से पूरा करना पड़ता है । हमेँ शरीर की समस्त आवश्यक्ताओँ भूख , प्यास , सेक्स , ऐश्वर्य और प्रसिद्धि पर नियंत्रण रखना पड़ता है । कहीँ हम ऐसा कर पाते हैँ और कहीँ नहीँ कर पाते । फिर संसार की ओर झुकना पड़ता है । मोह छूट जाता है लेकिन संसार के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिये । जीवन के प्रति कृतज्ञता होनी चाहिये । अहंकार का भाव शून्य होना चाहिये । यहाँ मनुष्य को मुश्किल जाती है । वह खुद को कुछ समझता है । भूल जाता है कि वह इस संसार मेँ रहने नहीँ आया है । वह जिँदगी के नियम समझता रहता है । समय के साथ वह खुद को देखता रहता है । कभी उसे लगता है कि वह सही मार्ग था , जिसे वह छोड़ आया है । उसे याद आता है कि शाम को घर आने को भूलना नहीँ कहते । लग जाता है तपस्या मेँ । ध्यानमग्न हो जाता है मोक्ष की प्राप्ति मेँ ।

Thursday, April 1, 2010

आस्था

जिँदगी के मकसदोँ मेँ जाने कहाँ खो गया हूँ । फिर वही आस्था मुझे बार बार बुलाती है । सोचता हूँ , लौट आऊँ । बहुत दूर जाकर लौट पाना मुश्किल होता है । लेकिन असंभव तो कुछ भी नहीँ होता । कहते हैँ आस्था से पहाड़ हिलाए जा सकते हैँ , बड़े समुद्र पार किये जा सकते हैँ । लेकिन इस आस्था को पाने का तरीका कहीँ दिखाई नहीँ देता । जिँदगी के होने का उद्देश्य तो है पर हम उद्देश्य को भूल जाते हैँ । तब आस्था दिखाई देती है । हर वस्तु चाहे वह सजीव हो या निर्जीव ; अनन्त का ही अंश है । हमारा खुद का शरीर भी अनन्त की ही उत्पत्ति है तो फिर हम आस्था को महसूस क्योँ नहीँ करते ।



आस्था को महसूस न करने का कारण है कि हमेँ खुद पर जरूरत से ज्यादा भरोसा है । सफलता की पुस्तकेँ पढ़कर हमारा एटिट्यूड प्लस पाजिटिव हो जाता है लेकिन हम भूल जाते हैँ कि सफलता पाने के लिए अदृश्य शक्ति पर विश्वास करना जरूरी होता है । इस विश्वास के सहारे लोगोँ ने बहुत कुछ पाया है । जो हमारी सोच से भी परे है , उससे जुड़कर बड़े कामोँ को किया है । हालांकि यह आस्था मंदिरोँ मेँ नहीँ मिलती लेकिन इसे महसूस किया जा सकता है । दुनिया के प्रति अहसानमंद बनकर उस अहसास को छुआ जा सकता है जो संतुष्टि से भरा हुआ है ।



यह संसार हमारे बिना हो सकता है लेकिन हम इस संसार के बिना नहीँ हो सकते । हाँ हम इस संसार की खूबसूरती के कारण जरूर बन सकते हैँ । अब यह हमारी सोच है कि हम सुबह की किरण बनना चाहते हैँ या ओस की बूँद । चमकते तो दोनोँ हैँ पर मौन रहकर चमकने मेँ अर्थ है । जो खुशियोँ की परवाह नहीँ करते , वे आस्थावान होते हैँ । उनके पास पैसा नहीँ होता लेकिन जिँदगी का सुनहरा सुकून होता है । वे उसे पा लेते हैँ और अधिक आस्थावान हो जाते हैँ । आस्था उन्हे छू लेती है और वे अंदर से भी खूबसूरत हो जाते हैँ ।

Wednesday, March 17, 2010

जिँदगी

" जिँदगी एक क्रिकेट की तरह है , जहाँ आपको सुरक्षित शॉट खेलने को कहा जाता है । "

Tuesday, March 16, 2010

संघर्ष

सूर्य चमकने के लिये संघर्ष करता है । हजारोँ अवस्थाओँ से गुजरकर कोई तारा सूर्य बनता है । हर कोई अपने साथ कुछ लेकर नहीँ आता । न ही कुछ लेकर जाता है । बस अस्तित्व का खेल है । हर कोई चाहता है कि उसका भी कोई नाम हो । लेकिन यह सब ऐसे ही नहीँ होता । संघर्ष के साथ धैर्य भी जरूरी होता है । कोई भी घटना समय से पहले नहीँ घटती । जो हमेँ आकस्मिक लगता है वह भी निश्चित होता है । प्रकृति किसी के भी साथ गलत नहीँ करती । चक्र की तरह परिस्थितियाँ होती हैँ । हर कोई सुख और दुख की अनुभूति से गुजरता है । हर कोई नीचे से ऊपर आने के लिए संघर्ष करता है । कभी वह सफल हो जाता है तो कभी असफल भी हो जाता है ।


सफलता धैर्यपूर्वक लक्ष्योँ की प्राप्ति है । किस्मत के खेल मेँ कोई जीतता है तो कोई हार जाता है । हारने वाला फिर से कोशिश करता है । कमियोँ को ढूँढ़ता है । कई बार परिश्रम करता रहता है । जिद की भी हद होती है । हद पार हो जाये तो मजा खत्म होने लगता है । आत्मविश्वास टूटने लगता है । खुद पर विश्वास तो सभी करते हैँ लेकिन सफल लोग प्रयासोँ पर विश्वास करते हैँ । मकड़ी जाल पर बहुत प्रयास मेँ चढ़ पाती है तो फिर हम तो मनुष्य हैँ । शरीर और मस्तिष्क की बेहतरीन तंत्रिकाओँ से बनी हमारी विचित्र काया हमेँ महानता की श्रेणी मेँ खड़ा करती है । असफलता को हार न समझना इसी महानता की विशेषता है । वे लोग जो कई बार जीतते हैँ उनकी मानसिकता इसी तरह की होती है ।


कल्पना की दुनिया मेँ रहकर जीवन पर विजय हासिल नहीँ की जा सकती । पतंग को लड़ाने के लिये शातिर हाथ चाहिए जो उसे जहाँ चाहेँ मोड़ सकेँ । हर कोई दलदल के बीच से कमल नहीँ तोड़ पाता । मनुष्य को संघर्ष करना पड़ता है । संघर्ष और घर्षण मेँ फर्क है । घर्षण मेँ वस्तु घिस जाती है लेकिन घर्षण के बिना वस्तु गति नहीँ कर सकती । संघर्ष समस्याओँ पर विजय पाने का नाम है । संघर्ष जितना शारिरिक नहीँ होता उतना मानसिक होता है । हर कोई सपने देखता है । उन सपनोँ को पूरा करना चाहता है । लेकिन सब साथ छोड़ देते हैँ । जीवन अकेला हो जाता है । इच्छाएँ दोनोँ और दौड़ती हैँ तो तनाव होता है । डर लगता है कहीँ दिल टूट न जाये ।


जीत एक चाहत होती है । हारकर भी इंसान खुश रह सकता है । लेकिन वह खुद को अकेला नहीँ देखना चाहता । सफल लोगोँ के साथ दुनिया होती है । हार के साथ निराशा बढ़ जाती है । जीवन संघर्षमयी हो जाता है । लेकिन प्रयास करते रहना चाहिए । धूप मेँ चलने से प्यास लगती है तब दो पल के लिए पानी अमृत हो जाता है । अगर आप अमृत पीना चाहते हैँ तो संघर्ष कीजिये । धैर्य रखिये कभी आप भी तो अपने सपनोँ के मालिक बनेँगे । परिश्रम को हाथोँ की शक्ति के रूप मेँ महसूस कीजिये ।