Monday, April 26, 2010

जिँदगी

हवा का झोँका आया और मुझे होश आ गया । अब सोच रहा हूँ कि अब तक कहाँ था । जिँदगी को यादोँ मेँ मैँने कहीँ खो दिया था । समय यादोँ को अपनी निगाहोँ मेँ कैद कर लेता है । पर हमेँ उनसे बाहर भी तो निकलना है । यादेँ कुछ दे जाती हैँ । वे खुशियाँ दे जाती हैँ ; गम दे जाती हैँ । इनसे बेहतर वे अनुभव का ज्ञान दे जाती हैँ । वे हमेँ सिखा जाती हैँ कि सही मार्ग कहाँ है । हम जिस रास्ते पर चलना चाहते हैँ , वह यहाँ नहीँ है । वह कहीँ और है ; जहाँ खुशियोँ की बहार आती है ।


यादेँ हमेँ सिखाती हैँ कि अब हम बदल गये हैँ । बचपन मेँ जब हम मासूम थे तो हमारे सोचने का तरीका हमारा खुद का था । तब हम नए नए प्रश्न करते रहते थे । लेकिन अब हमारी सोच पर बहुत सारा बोझ लाद दिया गया है । जिसे लेकर हम चल रहे हैँ । जब हमारी सोच स्वतंत्र नहीँ है तो फिर हम खुद को बेहतर कैसे बना सकते हैँ । हमेँ अपने दिमाग के कारखाने से कचरे को हटाना होगा । न जाने कितने विचार जो हमेँ सही लगते हैँ , गलत हैँ ।
इन गलत विचारोँ पर सोचने का समय तब शायद हमेँ मिल पाये ।


लेकिन हमेँ आज मेँ जीना होगा । बीते कल की बात करके तो सिर्फ समय गुजारा जा सकता है । कुछ हासिल करना है तो हमेँ वर्तमान मेँ जीना होगा । आज के परिप्रेक्ष्य मेँ योजनाएँ बनानी होँगी । आज की स्थितियोँ मेँ प्रयास करने होगेँ । जिँदगी को समझने के तरीके अब बदल चुके हैँ । वक्त ने खुद को बदल लिया है । संस्कृति , परिवेश और विचार भी बदल गये हैँ ; तो हमेँ भी नए तरीकोँ को समझना होगा । पुराने तरीकोँ से सफलता नहीँ मिल सकती क्योँकि पुरानी सोच मेँ माहौल की जंग लग जाती है । उसे हटाने मेँ हमेँ बर्षोँ लग सकते हैँ । इससे बेहतर है नयी कोशिशेँ कीजिए । आसमान को छूने की ये कोशिशेँ तुम्हे आसमान की ओर ले जायेँगी , जहाँ जिँदगी है ।


जिँदगी को पाने की कोशिश क्या कभी आपने की है ? यदि नहीँ तो आप नहीँ जानते कि जिँदगी क्या है । आप बस इतना जानते हैँ कि ऊँचाईयोँ पर खुशियाँ मिलती हैँ । लेकिन आप गलतफहमी मेँ हैँ । प्यार छोटी बस्ती की गलियोँ मेँ पाया जाता है और वे इसे हासिल करने की कोशिश नहीँ करते जो इसे पहचानते हैँ । ये लोग सहयोग , समर्पण , प्रतीक्षा आस्था , संतुष्टि और संस्कारोँ को साथ लेकर चलते हैँ तो इन्हे जिँदगी मिल जाती है ; कुँए से पानी खीँचती किसी लड़की की मुस्कुराहट मेँ ; यहाँ से वहाँ उछलकूद करती गिलहरी मेँ । जिँदगी को पाना जरूरी है । खुशियाँ जिँदगी के साथ मुफ्त मेँ मिलती हैँ और सफलता के साथ चलती हैँ । लेकिन ऊँचाइयोँ पर पहुँचकर आप खुश रहेँगे इस बात की कोई गारंटी नहीँ है । क्योँकि तब लोगोँ की ईर्ष्या , समय की कमी और आधुनिकता के प्रचार का आपको सामना करना पड़ेगा । खुशियाँ मार्केट मेँ नहीँ मिलतीँ । ये कुदरती उपहार होती हैँ ; जिन्हे हम जब चाहे तब पा सकते हैँ । लेकिन जिँदगी के करीब रहकर ही हम ऐसा कर सकते हैँ ।


पत्तोँ को हिलते हुए देखा है कभी । तो उनके धीरे धीरे हिलने मेँ शांति को महसूस कीजिए । नदी किनारे बैठिए और लहरोँ मेँ मन की गति को महसूस कीजिए । आसमान की ओर देखिये और जीवन के रहस्य को महसूस कीजिए । महसूस करने से ही हम सीख पाते हैँ । जिँदगी को पाने के प्रयास मेँ महसूस करने की प्रक्रिया का लाभ उठाईये । कुछ ही समय बाद महसूस होगा कि सोच गंभीर हो गई है । समझ मेँ आता है कि अगर हम इस संसार मेँ उलझ गये तो जीवन का उद्देश्य खत्म हो जाएगा । बस हम यहाँ कुछ सीखने आये हैँ और सीखकर ही हमेँ यहाँ से जाना है ।


हाँ समय का ध्यान रखिए । जिँदगी को किताबोँ मेँ मत ढूंढ़िए । सिद्धांतोँ की लाइब्रेरी मेँ भी मत पढ़िये । क्योँकि समय बहुत कम है । अगरबत्ती के धुँए से वायुमंडल पवित्र नहीँ हो सकता । न ही टेलिविजन पर विज्ञापन देने से धूम्रपान बन्द हो सकता है । खुद को अच्छी राह पर ले जाने की कोशिश कीजिए । लेकिन ध्यान रखिए सूर्य की किरणोँ से आप सीधे ऊर्जा नहीँ ले सकते । हर प्रक्रिया का एक क्रम है और संसार मेँ क्रम महत्वपूर्ण है । आप इस क्रम मेँ कहाँ है कोई नहीँ जानता । शायद आप जानते होँ ? पर हमेशा प्रगति के लिए मेहनत कीजिए । जल्द ही आपको वह दिखाई देगा जिसे खोजने का आप प्रयास कर रहे हैँ ।


लक्ष्य अनन्त है लेकिन संसार मेँ उस लक्ष्य को पाने के लिए कर्म करना पड़ता है । किस्मत अपने खेल खेलती है । सब हमारा ही किया हुआ है । बस हमेँ किस्मत के खेल मेँ एक खिलाड़ी बनना है । जीत और हार की उम्मीद छोड़ खेलना है । तभी हम जीत पाएँगे । हम कामयाब हो जाएँगे यदि हम भागना छोड़ देँ । यादोँ मेँ खोकर कुछ पाएँ और सो जाएँ । सुबह उठकर कहीँ जाना है . . . .

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