Friday, April 2, 2010

ब्रह्मांड

मैँ कहाँ खड़ा हूँ । सोच रहा हूँ ; एक रास्ता भैतिकबाद की ओर जाता है तो दूसरा आध्यात्म की ओर । मैँ कहाँ जाना चाहता हूँ , यह भी मुझे नहीँ पता । कोई कहता है जीवन मेँ पैसा महत्वपूर्ण है तो कोई शोहरत या प्यार को महत्वपूर्ण बताता है । सबके तरीके भी अलग अलग हैँ । मुझे जब कोई भी तरीका समझ मेँ नहीँ आता तो सोचता हूँ जीवन एक रहस्य है । इस रहस्य को समझना चाहता हूँ लेकिन इसे समझ भी नहीँ पाता । बहुत सारे दार्शनिक हुए । जीवन के अंत तक वे इस रहस्य को कितना समझ पाए , कहना मुश्किल है । मृत्यु के रहस्य को अब तक कोई नहीँ समझ पाया । विज्ञान के प्रयोग जीवन के अस्तित्व तक हैँ । शरीर की संरचना भी जटिल है । शिशु की संरचना स्त्री के गर्भ मेँ होती है । शरीर की कोशिकाओँ मेँ बृद्धि होते होते शिशु बड़ा हो जाता है लेकिन उसे संचालित करने वाली जो चेतना शक्ति है , वह कहाँ होती है । सामान्य चेतना तो सभी मेँ होती है लेकिन कुछ लोगोँ के पास विशिष्ट चेतना शक्ति होती है । ये जीवन को गहरे अनुभव के साथ महसूस करते हैँ । मैँ तो उनमेँ से नहीँ हूँ । पर अनुभव का इंतजार तो मैँ भी करता हूँ ।



इस विश्व का इतिहास अमर है । यह अनेकोँ तथ्योँ और घटनाओँ को अतीत के गर्भ मेँ समाहित किये है । हर कोई अतीत बन सकता है । लेकिन मैँ नहीँ । मैँ तो भविष्य की कल्पना मेँ जीता हूँ । खुली हवा मेँ पंछियोँ की तरह सैर करता हूँ । हर आने वाले पल को रोमांचक बनाना चाहता हूँ । लेकिन मैँ भी मनुष्यत्व को पाना चाहता हूँ । हम जन्म से ही शुद्ध नहीँ होते । परिस्थितियाँ बदलती रहती हैँ । संस्कारोँ के निर्मल प्रवाह मेँ बहकर मन शान्त हो जाता है । धैर्य , संयम , साहस और विश्वास जैसे गुण आ जाते हैँ तो व्यक्ति का चरित्र भी पवित्र हो जाता है । विचारोँ की दिशा तय हो जाती है । जीवन किसी एक दिशा मेँ चला जाता है । एकाग्रता के साथ ऊर्जा भी बढ़ती है । एकाग्रता के साथ ऊर्जा भी बढ़ती है । सफलता का अर्थ मनुष्य की समझ मेँ आ जाता है ।



हम सपना देख रहे हैँ । एक ब्रह्मांड है ; सृष्टि है ; जीवन है । सब इस सपने का अंश हैँ । सपना कब टूटेगा , अनिश्चित है । हाँ हम जाग सकते हैँ । अपने अंदर झांकने की कोशिश कर कर सकते हैँ । ब्रह्मांड कितना बड़ा है ? कोई नहीँ जानता । सब केवल इतना जानते हैँ कि हम कितने छोटे हैँ । निरंतर चल रहा आस्तिकता और नास्तिकता के बीच का विवाद भी स्वयं मेँ एक प्रश्न है । जब कोशिश ही सफलता बन जाए तो मंजिल उससे भी बड़ी होती है । हमेँ खुद को जीतना है , न कि किसी मंजिल को । विचारोँ के युद्ध मेँ फाइट का साइड इफैक्ट हम पर भी होता है और आने वाला कल इसी पर निर्भर करता है । लेकिन फिर भी एक अनुभव हमेँ होता रहता है कि हम बंधे हुए हैँ । कुछ प्रश्नोँ के उत्तर हम कभी नहीँ खोज सकते । उनके उत्तर ढूंढ़ते रहने की कोशिश हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती है और हमारा जीवन किसी ओर बढ़ जाता है ; जहाँ प्रकाश होता है । शब्दोँ का प्रकाश ; दृष्टि का प्रकाश ; हमेँ हमेशा आनंद की अनुभूति कराता रहता है । तब लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति है जो हमेँ हमेशा अपने पास रखती है.....

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