Sunday, April 18, 2010

एकांत

एकांत का अर्थ है -अकेलापन । जहाँ तुम अकेले हो वहाँ कोई और नहीँ हो सकता । लेकिन फिर कोई तो साथ होगा । जिँदगी का आनंद साथ होने मेँ है । प्रकृति के अंतरंग मेँ छिपकर नृत्य करने मेँ मन का आवरण दिखाई नहीँ देता । सभी एक होने का प्रयास करते हैँ । ब्रह्मांड के कण कण मेँ जो है , उससे मिलने का इंतजार करते हैँ । इस ब्रह्मांड मेँ जो रिक्त है , वह भी संपूर्ण है । फिर उस अनंत को एकांत मेँ महसूस करने का कोई कारण भी होना चाहिये । वह भी एकांत मेँ ही स्पष्ट होता है ।



ट्रेफिक मेँ निकलने मेँ समय लगता है । फिर हम ट्रेफिक मेँ रुककर सोच भी नहीँ सकते । अकेलेपन का आनंद अलग होता है । थ्री डायमेन्सनल स्पेस मेँ मूलबिन्दु को छोड़कर हर बिन्दु के निर्देशांक होते हैँ । हर किसी की अलग स्थिति होती है । लेकिन जो मूलबिन्दु से बहुत दूर अकेला होता है , वह सुकून मेँ होता है । भीड़ से बहुत दूर नहीँ पहुँचा जा सकता । हर कोई हम पर नजर रखता है । उस नजर से दूर एकांत मेँ सफलता की कल्पना विकसित होती है । वह राह मिलती है , जिस पर चलकर हमेँ बहुत दूर जाना है । उसे खोजना है , जो हमारे ही अंदर है । उस विश्वास को छूना है , जो हमेँ संतुष्टि देता है ।

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