Monday, September 16, 2013

तूफ़ान के बाद जो शांति मिलती है ;
वो गहरी होती है ;
लेकिन शांति पाने के लिए ;
तूफ़ान उठाने की
जरूरत तो नहीं है ?

1 comment:

  1. एक प्यारी सी कविता वक़्त पर .


    " वक़्त नहीं "

    हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,
    पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं .
    दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
    ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .

    सारे रिश्तोंको तो हम मार चुके,
    अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त
    नहीं ..

    सारे नाम मोबाइल में हैं ,
    पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .
    गैरों की क्या बात करें ,
    जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं .

    आखों में है नींद भरी ,
    पर सोने का वक़्त नहीं .
    दिल है ग़मो से भरा हुआ ,
    पर रोने का भी वक़्त नहीं .

    पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
    की
    थकने का भी वक़्त नहीं .
    पराये एहसानों कीक्या कद्र करें ,
    जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं

    तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
    इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
    की हर पल मरने वालों को ,
    जीने के लिये भी वक़्त नहीं .......

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