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एक प्यारी सी कविता वक़्त पर ." वक़्त नहीं " हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं . दिन रात दौड़ती दुनिया में , ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .सारे रिश्तोंको तो हम मार चुके,अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .. सारे नाम मोबाइल में हैं , पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .गैरों की क्या बात करें , जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं . आखों में है नींद भरी , पर सोने का वक़्त नहीं . दिल है ग़मो से भरा हुआ , पर रोने का भी वक़्त नहीं . पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,की थकने का भी वक़्त नहीं . पराये एहसानों कीक्या कद्र करें , जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं तू ही बता ऐ ज़िन्दगी , इस ज़िन्दगी का क्या होगा, की हर पल मरने वालों को , जीने के लिये भी वक़्त नहीं .......
एक प्यारी सी कविता वक़्त पर .
ReplyDelete" वक़्त नहीं "
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .
सारे रिश्तोंको तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त
नहीं ..
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं .
आखों में है नींद भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
की
थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसानों कीक्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं
तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं .......