Thursday, April 3, 2014

फिर सवेरा हो जाता  है ;
फिर रात बीत जाती है ;
ख़ामोशी से।

 खुद में कई राज छुपाये ,
गुज़र जाते हैं कई लम्हे ;
बिन मुस्कुराये ;
सो जाते हैं फूल कई।

आसमां देखता रहता है ;
सदियों से ;
ऐसे ही ;

परदे के पीछे भी ;
बदलती रहती है दुनिया ;
संगीत खो जाता है ;
आंसुओं के थमते ही। 

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