Friday, September 9, 2011

मैँने फर्स्ट आने की कोशिश की ….


मैँने एक बार फर्स्ट आने की कोशिश की !
कोशिशोँ मेँ पहाड़ को हिलाने का दम था !
लेकिन मुझे मेरे अपनोँ ने रोक दिया !
गुलाब की खुशबू
हर किसी को नहीँ मिलती !
न ही छू पाता है हर कोई
समुद्र की गहराईयोँ को !
दौड़ता रहा मैँ हर पल !
मैँने रुककर सोचने की कोशिश की !
सोच मेँ गंभीरता थी !
लेकिन कहीँ मेरा रास्ता बदल गया !
सोचा थोड़ी रफ्तार कम करता हूँ !
तभी एक नदी दिखाई दी !
पानी से प्यास बुझती है !
लेकिन मेरी प्यास बड़ी थी !
मैँ अपनी रूह को खोज रहा था !
शरीर के रहस्योँ को देख रहा था !
रहस्योँ ने मुझसे कहा ;
कि तुम वही हो
जो खुद तुम हो !
मैँने परछाईँयोँ मेँ
खुद को छिपाने की कोशिश की !

No comments:

Post a Comment