Saturday, September 10, 2011

कैरियर


मैँने रात को डराबना सपना देखा !
खुद को समस्याओँ से घिरा पाया !
सुबह एक्जाम देने बैठा
तो पाया
मुझे कुछ नहीँ आता !
प्रश्नोँ मेँ शब्दोँ से उलझता रहा !
सोचा , काश ! कुछ पढ़ लिया होता !
किताबोँ मेँ जिँदगी नहीँ मिलती !
न ही सुकून मिलता है !
पर कैरियर की राह मेँ
किताबोँ का बाजार होता है !
बातोँ को समझने का
व्यर्थ प्रयास करता रहा !
मैँ मोबाइल के गेम्स से
मैथ्स के सवाल नहीँ कर सकता !
न ही अगरबत्ती के धुँए से
नॉलेज समेट सकता !
मैँने सपनोँ मेँ एक कार खरीदी !
उसमेँ गर्लफ्रेन्ड को बैठाया !
उसके होँठोँ को किस किया !
फिर उठा तो पाया
मैँ कमरे मेँ ही था !
सूरज की किरणेँ
झरोखे से अंदर आ रही थीँ !
मुझसे कह रहीँ थीँ
जाग जाओ !
लेकिन मैँ जागा हुआ था !
किताबेँ सामने रखी थीँ !मैँने सोचा
पढ़ तो बाद मेँ भी लूँगा !
अभी थोड़ा बाहर घूम आता हूँ !
बाहर से कुछ नये विचार मिले !
उनमेँ ज्यादा पैसे कमाने की राह थी !
मैँ भटक गया !
सोच को दिन भर
दिमाग पर लादकर चलता रहा !
शाम को पता चला
मैँ वहीँ हूँ , जहाँ सुबह था !
दुनिया कुछ कर रही थी !
मैँ अब तक सोच रहा था !
सपनोँ की दुनिया से दूर
आने की कोशिश कर रहा था !
जिँदगी ने कहा – तुम कौन हो ?
जो मुझे बुलाते हो !
अगर तुम मुझसे प्यार करते हो
तो हर शाम मुझसे मिला करो !
लेकिन फारमूलोँ का एक
नया गुलाब लेकर आया करो !
मैँने जिँदगी से मिलना छोड़ दिया !
आसमान मेँ शाम को उड़ती
चिड़ियोँ से लेकर ,
जल मेँ उछलकूद करती
मछलियोँ को देखा !
हर जगह जिँदगी कैद थी !
मैँ कैद नहीँ होना चाहता !
लेकिन हर कोई मुझेतब मैँने पढ़ना शुरू किया !
एक्जाम दिया और रिजल्ट आया !
मैँ फर्स्ट डिवीजन था !
अब मैँ अकेला नहीँ था !
मेरे साथ घर बालोँ की खुशी थी !
लेकिन एक और बादल
मेरे ऊपर गिरा !
मुझसे कहा -
अगली बार और अच्छे मार्क्स लाना !
मेरे ऊपर नियंत्रण रखा गया !
ताकि मैँ सक्सेजफुल बन सकूँ !
मैँ सफल बनना चाहता था !
सपनोँ से मंजिल तक
पहुँचना चाहता था !
लेकिन मंजिल कहाँ थी
यह मुझे नहीँ पता था !
बस एक लगन थी !
मैँ आगे बढ़ना चाहता था !
एक एक कदम मुझे
आगे बढ़ाता गया !
अभी मैँ कहाँ हूँ ;
यह भी मुझे नहीँ पता !
बस वही कर रहा हूँ
जो मैँ करना चाहता हूँ !
पूरी स्वतंत्रता से
विचारोँ से मुक्त होकरमैँ देख रहा हूँ ,
खुद को अंदर से!
झांक रहा हूँ ,
सुकून के कमरे मेँ !
ताकि छू सकूँ मैँ
अनन्त को अन्त से !….
नये विचार
उठ रहे हैँ , मिट रहे हैँ !

स्वतंत्र नहीँ देख सकता !
सबकी तरह मेरी भी किस्मत
किताबोँ मेँ कैद हो गई !


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