Friday, February 17, 2012

शायद कोई……


कभी तो सोचा होगा
तुमने भी
कि तुम्हारे
जीवन का
उद्देश्य क्या है ?
अठारह बर्ष
पढ़ने के बाद
शायद
समझ मेँ
कुछ आया हो !
जिँदगी की राहोँ मेँ
खुद को
उलझा हुआ
महसूस किया हो
शायद तुमने !
जिँदगी की रेत पर
समय की कलम से
कुछ लिखा था
मैँने !
यादोँ की हवा
खीँच लाई है मुझे
आज फिर उस ओर !
कुछ सुनाई दे रहा है !
नदी किनारे पेड़ के
पत्तोँ से
संगीत आ रहा है !
मछलियोँ की
उछलकूद भी
जिँदगी की दौड़ से
कम नहीँ लगती !
शब्दोँ की पतंग को
काटना चाहता है
हर कोई !
आया था अभी
थोड़ी देर पहले
कोई !
जानता हूँ मैँ
शायद उसे !
कहता है कि
फिल्म का हीरो
उतना अच्छा नहीँ है
जितना दिखाई देता है !
प्यार की भी कोई
सीमा होती है ?
प्यार
बिना स्पर्श भी
महत्व रखता है !
ट्यूबवैल के
गहरे गड्डे मेँ
गिर गया है
कोई बच्चा ,
तो जरूरत है
उसे बाहर निकालने की !
शायद मैँ
कुछ सीख गया हूँ !
अच्छे होने का
दिखावा करने लगा हूँ !
खुद को सुधारने की
कोशिश तो मैँने
कभी नहीँ की !
शायद मैँ अपने
उद्देश्योँ को जानता हूँ !
छुआ जाता है
सफलता को
मेहनत के सहारे !
तुम्हारी तस्वीर
बनती है खुदा
मेरे दर्द के कैनवास पर !
खुद उतर आओ
मुझसे मिलने
तुम कभी !
क्या पता
देख ले तुम्हे
शायद कोई…..

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