Friday, February 17, 2012

उड़ान


चाहता हूँ
कुछ लिखूँ !
समझ
नहीँ पाता
कुछ भी ;
सोच
नहीँ पाता
क्या है
जिँदगी !
शाम को
घोँसलोँ की
ओर
जाने वाले
पँछियोँ से ;
समुद्र
की
सतह पर
उछलकूद करती
लहरोँ से
पूछता हूँ !
बगीचे मेँ
पौधे पर
कोई
कमल
खिलने का
इंतजार
कर रहा है !
धुएँ
की
उड़ान से
सीख रहा है
मन ;
वायुयान
को
बादलोँ के
पार
पहुँचाना !

No comments:

Post a Comment