Friday, February 17, 2012

जिंदगी


जिंदगी
सिगरेट के
कश मेँ
जलती हुई ;
प्यार के
नशे मेँ
धुँए सी
संभलती हुई ;
जाने
किस ओर
जा रही है !
मुझे
उसके
करीब देखकर
हँसती हुई ;
दूसरे के
जाल मेँ
मछली सी
फँसती हुई ;
जाने क्योँ
मुस्कुरा
रही है !

No comments:

Post a Comment