Friday, February 17, 2012

पुकार


प्रिय !
तुम मुझे
बहुत अच्छे
लगते हो !
जब भी तुम्हे
देखता हूँ ,
लगता है कि
स्वर्ग मेँ हूँ
और खड़ी है
सामने
कोई अफ्सरा !
मुझे नहीँ पता
पर शायद मुझे
तुमसे
प्यार हो गया है !
यह प्यार
मुझे
अपनोँ से
दूर कर रहा है !
मैँ निहार रहा हूँ
तुम्हे
और खो रहा हूँ
रहस्यमयी
आकाश मेँ ;
जहाँ दूर खड़ी होकर
तुम मुझे
पुकार रही हो !
किन्तु तभी ,
सुनाई देती है
माँ की पुकार
‘बेटा कहाँ हो ?’
और जाकर
छुप जाता हूँ
इस संसार के
सबसे बड़े
आँचल मेँ !!

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